राम मंदिर में ओमर ऊमर समाज का योगदान...


अयोध्या आन्दोलन से लेकर राम मंदिर निर्माण तक ओमर ऊमर समाज भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है... सन 1990 में जब राममंदिर आन्दोलन अपने चरमोत्कर्ष पर था व अयोध्या में राममंदिर आन्दोलन के अनेक कारसेवकों को शासन सत्ता के आदेश पर गोलियों से भून दिया गया था तो जलालाबाद ( शाहजहांपुर ) क़स्बा में कॉपी किताब की दुकान करने वाले कवि हृदय स्व.विष्णुचंद्र गुप्ता बहुत व्यथित हो गए और अत्यंत ही आक्रोश में उन्होंने जिस गीत की रचना की वह आंदोलनकारियों का मूल मन्त्र बन गया था... पूरे देश में राममंदिर के लिए इस जोशीले गीत की धूम मच गयी... राममंदिर आन्दोलन के दौरान स्व.विष्णु जी को एक वर्ष जेल भी काटनी पड़ी थी...


 


जहाँ एक ओर स्व.विष्णुचंद्र जी की इस रचना को विभिन्न हिंदूवादी संगठनों ने मंदिर आंदोलन में आम जनमानस को जोड़ने के लिए अपना हथियार बना लिया... वहीँ उनकी इस प्रतिभा को प्रसार प्रचार से दूर रखकर एक तरह से उनके साथ अन्याय किया गया... जिस मूल मन्त्र के दम पर हिंदूवादी लोग सत्ता शीर्ष पर पहुँच गए और उसके रचयिता को गुमनामी के अँधेरे में धकेल दिया गया... अपने ओमर ऊमर समाज ने भी उनकी कोई सुध नहीं ली... अपने समाज की किसी भी संस्था ने उन्हें कभी किसी सम्मान लायक नहीं समझा... यहाँ तक कि स्वजातिभूषण से लेकर स्वजातिरत्न बांटने वाले अपने समाज के सर्वोच्च संगठन के कर्ताधर्ताओं ने कभी उन्हें याद तक नहीं किया...


 


राम मंदिर निर्माण के लिए अपने जीवन भर की कमाई दान करने वाले सियाराम ऊमर जी की कहानी भी कुछ ऐसी ही है... अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए पिछले वर्ष 24 नवम्बर को प्रतापगढ़ निवासी सियाराम जी ने श्री राम जन्म भूमि न्यास को एक करोड़ रुपया दान किया था... किसी व्यक्ति विशेष द्वारा दी गई यह धनराशि राम मंदिर निर्माण के लिए अब तक का सर्वोच्च दान होने के बावजूद उन्हें अपेक्षित प्रचार नहीं दिया गया... ऊँगली कटाकर शहीदों में नाम लिखाने की तमन्ना रखने वालों ने कभी सियाराम जी को सम्मानित करने का विचार तक नहीं किया... चित्रकूट धर्मशाला प्रकरण को लेकर समाज में अपना अपना रसूख कायम करने की होड़ के आगे राष्ट्र की धार्मिक धरोहर के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सियाराम ऊमर जी को भी समाज के तथाकथित सेवकों द्वारा वह सम्मान नहीं दिया गया जिसके वह हकदार हैं...


 


हितैषीदूत परिवार का यह मानना है कि अयोध्या के राम मंदिर के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले स्व.विष्णुचंद्र गुप्ता व जीवन भर की कमाई दान करने वाले सियाराम ऊमर जी को समाज के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया जाये जिससे भविष्य में भी समाज व देश के लिए कुछ कर गुजरने की तमन्ना रखने वालों का उत्साहवर्धन हो सके...


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